
नई दिल्ली (पवन कुमार ) . लोकपाल गठन के बाद पिछले 10 माह में वेतन, दफ्तर का किराया, प्रशासनिक व्यय के नाम पर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। जबकि इस दौरान लोकपाल में आने वाली एक भी शिकायत की न तो विस्तृत जांच शुरू हो पाई है और न ही किसी मामले में मुकदमा चल पाया है। मिली जानकारी के मुताबिक मार्च-2019 में लोकपाल के अध्यक्ष और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति के बाद से लेकर जनवरी-2020 के पहले सप्ताह तक 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद जनवरी -2020 के पहले सप्ताह तक 1307 शिकायतें पहुंच चुकी हैं। हालांकि अभी तक एक भी मामले की विस्तृत जांच शुरू नहीं हो पाई है क्योंकि लोकपाल में अभी तक न तो जांच इकाई का गठन हुआ है और न ही अभियोजन इकाई का। हालांकि लोकपाल में आने वाली कुछ शिकायतों को जरुरी कार्रवाई के लिए लोकपाल की ओर से केन्द्रीय सतर्कता आयोग और संबंधित मंत्रालयों को भेजा गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक लोकपाल में 70 पदों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति होनी है, लेकिन फिलहाल 20 पदों पर ही नियुक्ति हो पाई है। अधिकारियों की नियुक्ति न होने के सवाल पर लोकपाल का कहना है कि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अभी तक भर्ती नियम ही नहीं बन पाए हैं।
प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ शिकायत
लोकपाल गठन के बाद से प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों या केन्द्रीय अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें आई और इन शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई। इस पर लोकपाल का कहना है कि यहां आने वाली शिकायतों को अलग-अलग श्रेणी में नहीं बांटा गया है, इसलिए इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती।
जांच औरअभियाेजन इकाई के बिना लोकपाल में आने वाली शिकायतों की जांच ही प्रारंभ नहीं हो सकती। इन दोनों विंग के नहीं बनने का मतलब यह है कि लोकपाल का जो मुख्य कार्य है वह नहीं हो सकता। यह सरकार की जिम्मेदारी होती है-अजीत प्रकाश शाह, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली हाईकोर्ट।
कहां-कितना खर्च रु. में
वेतन | 2,30,99,690 |
दफ्तर किराया | 3,95,06, 604 |
प्रशासनिक और | 3,55,493 |
अन्य चीजों पर खर्च
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from Dainik Bhaskar /delhi/delhi-ncr/news/the-complaints-received-in-the-lokpal-were-neither-investigated-nor-prosecuted-126712045.html
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