
वॉशिंगटन. ट्रम्प प्रशासन ने वित्त वर्ष 2021 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए 1.5 अरब डॉलर (करीब 10 हजार करोड़ रु.) प्रस्तावित किए हैं। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र को चीन के बुरे प्रभाव से बचाने और उसकी स्वतंत्रता तय करने के लिए उठाया गया है। यह फैसला तब किया गया है, जब फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर आने वाले हैं।
व्हाइट हाउस ने बजट में इस खर्च का प्रस्ताव रखते हुए कहा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र जहां दुनिया की करीब आधी जनसंख्या और सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्थाएं मौजूद हैं, उसकी सुरक्षा अमेरिका के हितों लिए अहम है। बजट के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर 1.5 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। यह फंडिंग अलग-अलग देशों में लोकतांत्रिक कार्यक्रम शुरू करने, सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने, आर्थिक शासन सुधारने और अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करेगी।”
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनकर्ज से बचाने के लिए भी प्रस्ताव
इस पूरे बजट में से 3 करोड़ डॉलर (करीब 21 करोड़ रुपए) क्षेत्र के बारे में चीन की तरफ से फैलाए गए प्रोपेगैंडा और गलत जानकारी का मुकाबला करने के लिए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 80 करोड़ डॉलर (करीब 5700 करोड़ रुपए) इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर डेवलपमेंट के लिए खर्च किए जाएंगे। ताकि यहां मौजूद देशों को चीन के महंगी और लुटेरी कर्ज नीतियों का विकल्प दिया जा सके।
बजट प्रस्ताव में अमेरिकी रक्षा विभागपेंटागन ने आरोप लगाया कि चीन लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों की स्वायत्तताका उल्लंघन करने में जुटा है। इसके साथ ही वह दूसरे देशों में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिवके तहत निवेश कर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहता है। पेंटागन ने यह भी बताया कि रक्षा विभाग लगातार दूसरे देशों के साथ मजबूत साझेदारी बनाने में जुटा है। भारत के साथ मिलकर डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस(डीओडी)सहयोग बढ़ा रहा है। इसी के तहत दोनों देशों ने ‘टाइगर ट्रायंफ’ नौसैन्य अभ्यास शुरू किए हैं।
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