Saturday, January 25, 2020

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नई दिल्ली. 26 जनवरी 1950 की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत गणतंत्र बना था। ऐसा कहा जाता है कि 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। गणतंत्र बनने के 6 मिनट बाद यानी 10 बजकर 24 मिनट पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहले राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। उन्हें तत्कालीन चीफ जस्टिस हीरालाल कनिया ने हिंदी में शपथ दिलाई थी। इसके बाद डॉ. प्रसाद ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में भाषण दिया था। उन्होंने उस वक्त कहा था- 'हमारे लंबे और घटनापूर्ण इतिहास में ये पहला अवसर है जब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ये विशाल देश सबका- सब इस संविधान और एक संघ राज्य के छत्रासीन हुआ है।' लेकिन, डॉ. प्रसाद के इस भाषण के ठीक 7 साल बाद यानी 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर में राज्य का अपना अलग संविधान लागू हुआ।


पहले राष्ट्रपति ने पहले भाषण में क्या कहा था?
"हमारे लंबे और घटनापूर्ण इतिहास में यह सर्वप्रथम अवसर है, जब उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पश्चिम में काठियावाड़ तथा कच्छ से लेकर पूर्व में कोकनाडा और कामरूप तक यह विशाल देश सबका-सब इस संविधान और एक संघ राज्य के छत्रासीन हुआ है, जिसने इनके बत्तीस करोड़ नर-नारियों के कल्याण का उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लिया है। अब इसका प्रशासन इसकी जनता द्वारा और इसकी जनता के हितों में चलेगा। इस देश के पास अनंत प्राकृतिक सम्पत्ति साधन हैं और अब इसको वह महान अवसर मिला है, जब वह अपनी विशाल जनसंख्या को सुखी और सम्पन्न बनाए तथा संसार में शांति स्थापना के लिए अपना अंशदान करे।"
"हमारे गणतंत्र का यह उद्देश्य है कि अपने नागरिकों को न्याय, स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त कराए तथा इसके विशाल प्रदेशों में बसने वाले तथा भिन्न-भिन्न आचार-विचार वाले लोगों में भाईचारे की अभिवृद्धि हो। हम सब देशों के साथ मैत्रीभाव से रहना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम अपने देश में सर्वतोन्मुखी प्रगति करें। रोग, दारिद्रय और अज्ञानता के उन्मूलन का हमारा प्रोग्राम है। हम सब इस बात के लिए उत्सुक और चिंतित हैं कि हम पीड़ित भाइयों को, जिन्हें अनेक यातनाएं और कठिनाइयां सहनी पड़ी हैं और पड़ रही हैं, फिर से बसाएं और काम में लगाएं। जो जीवन की दौड़ में पीछे रह गए हैं, उनको दूसरों के स्तर पर लाने के लिए विशेष कदम उठाना आवश्यक और उचित है।"


जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान सभा बनी

  • आजादी के बाद जब बंटवारा हुआ तो कुछ रियासतें पाकिस्तान से और कुछ भारत से मिल गईं। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को अपने हिस्से में लेना चाहता था, लेकिन वहां के महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे। लेकिन 1947 में आजादी के कुछ दिन बाद ही पाक ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया। जिसके बाद 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें लिखा था कि इसमें लिखी गई किसी भी बात के जरिए मुझे भारत के भविष्य के किसी संविधान को मानने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • जम्मू-कश्मीर का मामला जटिल होने की वजह से संविधान सभा ने 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 के रूप में एक विशेष संकल्प स्वीकार किया। 26 नवंबर 1949 को जब संविधान बन गया, तो बाकी राज्यों की रियासतों ने भारतीय संविधान मान लिया लेकिन जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने इसे मानने से मना कर दिया। इसके बाद वहां अलग संविधान सभा बनी, जिसकी पहली बैठक 31 अक्टूबर 1951 में हुई। राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल 17 नवंबर 1956 तक चला और 26 जनवरी 1957 को राज्य का अपना अलग संविधान लागू हुआ।

62 साल 6 महीने बाद जम्मू-कश्मीर में भी भारतीय संविधान लागू हुआ
जम्मू-कश्मीर में पहले केंद्र सरकार वित्त, रक्षा, विदेश और संचार के मामलों में ही दखल दे सकती थी। लेकिन सरकार ने 6 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। इसके बाद वहां भी केंद्र सरकार के सभी कानून और भारतीय संविधान लागू हो गया। जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान 62 साल 6 महीने और 11 दिन बाद लागू हुआ।



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Rajendra Prasad Speech | Republic Day Bhaskar Special 2020 On President Speech Over Constitution From Kanyakumari to Kashmir
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाते तत्कालीन चीफ जस्टिस हीरालाल कनिया। कुर्सी पर तत्कालीन गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी।
26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस पर परेड का नजारा।
नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन 1951 के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। साथ में राष्ट्रपति डॉ. प्रसाद।
1951 के गणतंत्र दिवस समारोह में तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल हुए थे।


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