
भोपाल.कमलनाथ सरकार ने सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही से ठीक पहले फ्लोर टेस्ट नहीं कराए जाने का निर्णय लिया। सरकार के इस फैसले से राज्यपाल लालजी टंडन खासे नाराज हैं। वे विधानसभा में बजट सत्र की औपचारिक शुरुआत करने 9 मिनट की देरी से पहुंचे और पूरा अभिभाषण पढ़े बिना 11 मिनट में राजभवन लौट गए। इससे पहले रविवार को सरकार की ओर से विधानसभा की कार्यसूची में केवल अभिभाषण को लिए जाने पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को तलब किया था। भाजपा ने सरकार पर संवैधानिक नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है।
इधर, राज्यपाल के राजभवन आते ही सियासी हलचल बढ़ गई। 20 मिनट बाद कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह वहां पहुंचे। उन्होंने वर्तमान घटनाक्रम पर राज्यपाल से करीब एक घंटा चर्चा की। एक घंटे बाद भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी राजभवन पहुंचे। उनके साथ भाजपा के सभी विधायक भी बसों में आए। राजभवन के आसपास पुलिस का पहरा है।
राज्यपाल केविधानसभा निकलने से पहले कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट कराने से इंकार किया
राज्यपाल को सोमवार सुबह 10.50 बजे विधानसभा जाने के लिए निकलना था। इसबीच, कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की जानकारी दी, इससे वे नाराज हो गए। राज्यपाल 11.08 बजे तक राजभवन से बाहर नहीं निकले। तब कयास लगाए जाने लगे कि राज्यपाल विधानसभा नहीं जाएंगे। बताया जा रहा है राज्यपाल ने संवैधानिक विशेषज्ञों की सलाह ली और विधानसभा जाने को तैयार हुए। इस बीच, यहां सुरक्षा में तैनात पुलिसबल को खाने के पैकेट बांटे गए, उन्होंने भोजन शुरू ही किया था कि इतने में राज्यपाल के वापस आने की सूचना आ गई। सुरक्षाकर्मी खाना बीच में छोड़कर फिर से मुस्तैद हो गए। राज्यपाल विधानसभा से 11.20 बजे राजभवन में प्रवेश कर गए।
राज्यपाल ने कहा- लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वहन करें
स्पीकर एनपी प्रजापति ने कोरोनावायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसी दिन राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग भी होनी है। इससे पहले राज्यपाल करीब 11.15 बजे विधानसभा पहुंचे। उन्होंने अभिभाषण पूरा नहीं पढ़ा। लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वहन करें, इतना कहकर वे सदन से चले गए। वहीं, कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा- मौजूदा स्थिति में फ्लोर टेस्ट कराना संभव नहीं है। अभी सदन में बहुमत परीक्षण कराना अलोकतांत्रिक है।
कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के लिएपत्र में और यह कहा?
- भाजपा ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखा है। उन्हें अलग-अलग बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। फ्लोर टेस्ट का औचित्यतभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर और दबावमुक्त हों।
- राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष का मार्गदर्शक या परामदर्शदाता नहीं है। राज्यपाल अध्यक्ष से यह अपेक्षा नहीं कर सकता कि अध्यक्ष उस तरीके से सदन में कार्य करे, जो राज्यपाल संवैधानिक दृष्टि से उचित समझता है। राज्यपाल और अध्यक्ष दोनों के अपने स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं।
- विधानसभा राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती। कुल मिलाकर राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम कर सकते हैं।
राज्यपाल ने रविवारदेर रात हाथ उठाकर वोटिंग का निर्देश दिया था
रविवार को राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष और सरकार को निर्देश दिया था कि 16 मार्च को अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट करवाएं। लेकिन, सरकार की ओर से विधानसभा की कार्यसूची में केवल अभिभाषण को लिया गया। इस पर देर शाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल से मुलाकात की। विरोध के तौर पर ज्ञापन दिया है। राज्यपाल ने आश्वासन दिया था कि वे नियमों के तहत इस पर निर्णय लेंगे।
राजभवन से लाइव अपडेट्स
- 10.50 AM: राजभवन से राज्यपाल का विधानसभा जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित था।
- 11.09 AM: राज्यपाल विधानसभा जाने के लिए निकले।
- 11.13 AM: विधानसभा पहुंचे। राष्ट्रगान शुरू हुआ।
- 11.15 AM: एक लाइन अभिभाषण पढ़ी और बाहर निकले।
- 11.20 AM: राज्यपाल विधानसभा से वापस राजभवन लौटे।
- 11.40 AM: दिग्विजय सिंह राजभवन में राज्यपाल से मिलने पहुंचे।
- 12.30 AM: भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा राजभवन पहुंचे। उनके साथ सभी पार्टी विधायक भी आए।
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