
नई दिल्ली. सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। यह कुछ ऐसा है कि इसे जारी रखना होगा। हमें इसके साथ तब तक रहना होगा जब तक हम इसकी जड़ तक न पहुंच जाएं। उन्होंने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन के कार्यक्रम में कहा, “हमें आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठीक उसी तरह के प्रयास करने होंगे जैसा अमेरिका ने 9/11 की घटना के बाद किया था। आइए हम सब इसके खिलाफ एक वैश्विक युद्ध शुरू करते हैं। इसके लिए हमें आतंकवादियों को अलग-थलग करना होगा और जो इसे बढ़ावा दे रहें हैं उन्हें सबक सीखाना होगा।”
उन्होंने कहा, “आतंकवाद की गतिविधियां यहां लंबे समय से चल रही है और यह किसी खास देश द्वारा चलाया जा रहा है। वे आतंकवादियों को प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। वे उन्हें हथियार और धन उपलब्ध करा रहे हैं। इसके कारण हम आतंकवाद को नियंत्रित कर पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए हमें उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।” उन्होंने कहा, “आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले किसी भी देश पर कार्रवाई करनी होगी। मुझे लगता है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैकलिस्ट करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है और साथ ही उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना भी जरूरी है।”
सीडीएस की जिम्मेदारियां स्पष्ट और पूरी तरह परिभाषित है: जनरल रावत
उन्होंने कहा कि सीडीएस एक ऐसा पद है जो सभी के बीच बराबर तो है लेकिन उनकी जिम्मेदारियां स्पष्ट और पूरी तरह परिभाषित है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए एक समझौते की आवश्यकता है और इसके लिए बातचीत की जानी चाहिए। साथ ही, तालिबानियों को हथियार छोड़कर राजनीति के मुख्यधारा में आना होगा।
क्या है रायसीना डायलॉग?
रायसीना डायलॉग पहली बार 2015 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया था। हर साल इसमें अलग-अलग देशों के प्रमुख और विदेश मंत्री पहुंचते हैं। इस साल 17 देशों के मंत्री और विदेश नीति के जानकार कार्यक्रम में पहुंचे हैं। इनमें ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अन्य नेता पहुंचे हैं।
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