Friday, January 17, 2020

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नई दिल्ली. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार प्रदान किया।रिपोर्ट के मुताबिक, आयुक्त को 19 जनवरी 2020 से 18 अप्रैल 2020 तक यह आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई है। रासुका कानून ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस होता हो। वहीं, एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब पुलिस अपने आका को खुश करने का काम करेंगे।

ओवैसी ने एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा, “दिल्ली पुलिस को एनएसए के तहत हिरासत में रखने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इसके तहत पुलिस किसी भी बेगुनाह व्यक्ति को एक साल तक बिना वकील, दलील और अपील के पकड़ सकती है। दिल्ली पुलिस ने केंद्र को प्रसन्न करने वाले तरीके अपनाएगी।” उपराज्यपाल ने यह फैसला तब लिया है जब दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह नियमित आदेश है जो हर तीन महीने पर जारी किया जाता है और मौजूदा परिस्थितियों से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

एनएसए क्या है?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को गिरफ्तारी का आदेश देता है। रासुका के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार को इसकी जानकारी देनी पड़ती है कि रासुका के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इसे बनाया गया था।



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एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया।- फाइल फोटो


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