
न्यूयॉर्क. जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चीन-पाकिस्तान को बुधवार को एक बार फिर नाकामी हाथ लगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन-पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर समर्थन जुटाने में असफल रहे। भारत ने कहा कि हमारे साथ संबंध बेहतर करने के लिए पाकिस्तान के लिए जरूरी है कि वह सही मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। यूएनएससी के कई सदस्यों ने कहा कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। लिहाजा, इसे दोनों देशों के बीच बातचीत से ही हल होना चाहिए।
बुधवार को चीन के दबाव में कश्मीर पर यूएनएससी की बैठक बुलाई गई। इस ‘क्लोज्ड डोर मीटिंग’ में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के अलावा किसी को शामिल नहीं किया जाएगा।
‘एक बार फिर उनकी हार हुई’
यूएन में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘हमने एक बार फिर देखा कि एक सदस्य देश की कोशिशों की हार हुई। ये हमारे लिए खुशी की बात है कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा कश्मीर में खतरे की स्थिति को नकार दिया गया। पाकिस्तान कश्मीर को लेकर लगातार आधारहीन आरोप लगाता रहा है। कई देशों का कहना है कि कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से ही हल किया जाना चाहिए।’’
पिछली बैठक में पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने इस बैठक के लिए दबाव बनाया। अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद भी चीन ने इस मुद्दे पर यूएनएससी की बैठक बुलाई थी। हालांकि, तब चीन और पाकिस्तान को इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ, क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा करार देते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद दिसंबर में भी चीन ने कश्मीर पर चर्चा कराने के लिए बैठक का आग्रह किया था, लेकिन तब बैठक नहीं हुई।
चीन के अलावा सभी सदस्य भारत के साथ
यूएनएससी में 5 स्थायी सदस्य देश हैं, जबकि 10 निर्वाचित सदस्यों का निश्चित कार्यकाल होता है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन इसके स्थायी सदस्य हैं। चीन के अलावा बाकी 4 सदस्य देश कश्मीर मुद्दे पर दखल देने से इनकार करते रहे हैं। भारत सरकार के रुख का समर्थन करते हुए इन देशों ने सभी विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने को कहा है।
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