
नई दिल्ली.निर्भया केस के दोषियों के लिए दिल्ली की कोर्ट ने शुक्रवार को नया डेथ वॉरंट जारी किया। इसके मुताबिक, चारों दोषियों को एक फरवरी सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी। दाेषी मुकेश की याचिका पर यह फैसला आया। हालांकि, इसमें अभी भी कानूनी पेंच है, क्योंकि एक दोषी पवन अब वारदात के समय अपने नाबालिग होने की याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। दोषी लगातार कानूनी पैंतरे चल रहे हैं। ऐसे में पक्का नहीं है कि 1 फरवरी को भी फांसी हो जाए।
इससे पहले 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी कर दिया था। इस पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दया याचिका लंबित रहने तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती। इसी बीच,दोषियों को फांसी में देरी पर निर्भया की मां आशा देवी ने पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा- मेरी बच्ची की मौत के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।
तिहाड़ जेल:फांसी के लिए पहल नहीं की
करना यह चाहिए था: ट्रायल कोर्ट ने 13 सितंबर, 2013 को मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में इस पर मुहर लगाई। जुलाई 2018 में 3 पुनर्विचार याचिकाएं रद्द हुईं। तिहाड़ के पूर्व अधिकारी सुनील गुप्ता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को कानूनी विकल्प आजमाने के लिए उसी वक्त 7 दिन का नोटिस देना जेल अधीक्षक की जिम्मेदारी थी।
लेकिन हुआ यह: निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। जुलाई 2018 में तीन की पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर भी जेल प्रशासन मौन रहा। उन्होंने खुद 14 फरवरी, 2019 काे कोर्ट से डेथ वारंट जारी करने की मांग की। काेर्ट नाेटिस पर ही जेल प्रशासन ने दोषियों को दो नोटिस दिए।
दिल्ली सरकार: जेल की सुस्ती पर ध्यान ही नहीं दिया
करना यह चाहिए था: तिहाड़ जेल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अधीन है। जेल प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद डेथ वारंट नहीं मांगा था ताे दिल्ली सरकार उसे कार्रवाई का आदेश दे सकती थी। करीब ढाई साल की निष्क्रियता पर सरकार के पास लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अनुुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार भी है।
लेकिन हुआ यह: दिल्ली सरकार ने अपनी ओर से कोई पहल नहीं की। कोई फॉलोअप नहीं लिया। बल्कि, डेथ वारंट जारी होने के बाद हाईकोर्ट और निचली अदालत में जेल मैनुअल का हवाला दे यह जरूर कहा कि 22 जनवरी को फांसी संभव नहीं। जेल और दिल्ली सचिवालय की दूरी महज 19 किमी है। फिर भी किसी अधिकारी ने समीक्षा जैसा कदम नहीं उठाया।
जेल प्रशासन बोला- मौखिक रूप से दोषियों को कई बार टोका था
तिहाड़ जेल के एआईजी राजकुमार ने कहा कि जुलाई 2018 में मुकेश, पवन और विनय की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उनसे मौखिक तौर पर कई बार कानूनी विकल्प आजमाने काे कहा। 2019 में अक्टूबर और दिसंबर में दाे नाेटिस दिए।
पर केजरीवाल बोले- हमने तो कुछ घंटाें में ही अपना काम कर दिया
सीएम अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि दिल्ली सरकार के अधीन आते सभी काम कुछ घंटों में ही पूरे कर दिए। दोषी की दया याचिका मिलने के चंद घंटों में उसे खारिज करने की सिफारिश एलजी काे भेज दी थी। किसी भी काम में दिल्ली सरकार ने देरी नहीं की।
नया पैंतरा; अब लूट का केस लंबित बताया
दाेषियाें के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि लूट के मामले में चारों की अपील हाईकाेर्ट में लंबित है। अभी फांसी नहीं हो सकती। अगस्त 2015 में जेल में एक पेंटर से लूट में काेर्ट ने इन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी।
पवन सुप्रीम कोर्ट गया, नाबालिग हाेने का दावा
दोषी पवन गुप्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार काे सुप्रीम काेर्ट पहुंच गया। अपराध के वक्त नाबालिग हाेने का उसका दावा हाई काेर्ट ने खारिज कर िदया था।
नियमों से खेलकर फांसी से ऐसे बच रहे दोषी
- जेल मैनुअल के अनुसार किसी केस में ज्यादा दोषियों को माैत की सजा मिली है ताे फांसी एक साथ होगी। दया याचिका खारिज हाेने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जा सकती है।
- इन्हीं नियमाें से खेलकर दाेषी फांसी टलवा रहे हैं। जब तक एक भी दोषी के विकल्प बचे हैं, तब तक चारों जिंदा रहेंगे।
- पैटर्न दिखाता है कि ये एक-एक कर किफायत से विकल्प आजमा रहे हैं। सिर्फ दया याचिकाएं ही करीब 42 दिन बचा सकती हैं। दाे क्यूरेटिव पिटीशन भी कुछ समय निकालेंगी।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /national/news/nirbhaya-rape-convict-mukesh-singh-mercy-petition-latest-news-and-updates-126547216.html
via
No comments:
Post a Comment