Sunday, January 19, 2020

easysara.wordpress.com

भोपाल.हमें रोज मोबाइल पर ढेरों मैसेज मिलते हैं। ज्यादातर फॉरवर्डेड। हमें जो भी अच्छा, सनसनीखेज लगता है, उसे तुरंत फॉरवर्ड कर देते हैं। यहीं से शुरू होती है समस्या। क्योंकि, जरूरी नहीं है कि ऐसे सारे मैसेज सही हों। इनमें से अधिकांश या तो मनोरंजन के लिए बनते हैं या गुमराह करने के लिए। हैरत है कि पढ़े-लिखे लोग भी फेक न्यूज को सच मान लेते हैं। इन्हें फॉरवर्ड कर जाने-अनजाने समस्या को और बढ़ा देते हैं। इससे गलत खबरों, गलत विचारों और अंतत: गलत फैसलों का दुष्चक्र शुरू हो जाता है।


इस अहम मुद्दे पर दैनिक भास्कर समूह और टाइम्स ऑफ इंडिया समूह ने मिलकर ‘कौन बनेगा, कौन बनाएगा’ के नाम से पहल शुरू की है। इसमें फिल्मों की सीरीज के जरिए फेक न्यूज के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जाएगा। पाठकों को अखबार पढ़ने के महत्व के प्रति जागरूक किया जाएगा।


इस बारे में दैनिक भास्कर समूह के प्रमोटर, निदेशक गिरीश अग्रवाल कहते हैं कि संक्रमण की तरह फैल रही फेक न्यूज की बीमारी से बचाने के लिए दो सबसे बड़े मीडिया समूह एक साथ हैं। हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को साझा कर रहे हैं। हम लोगों को फेक न्यूज के खिलाफ जागरूक करेंगे। आज के समय हम सभी को खुद से यह सवाल करना चाहिए कि हम अपनी खबरें कहां से पाते हैं, उनका स्रोत क्या है?


बीसीसीएल (बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड) के प्रेसिडेंट (रेवेन्यू) शिवकुमार सुंदरम कहते हैं कि गलत मैसेज फॉरवर्ड करने से सामाजिक तानाबाना कमजोर पड़ रहा है। बड़े अखबार समूह के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि पाठक को सही खबर फॉलो करने के लिए जागरूक करें। हमें खुशी है कि इसमें दैनिक भास्कर के साथ हम भागीदार हैं। अखबारों को समाचारों का सबसे प्रामाणिक स्रोत माना जाता है।
कई रिसर्च से साबित हो चुका है कि पाठक उसे ही सच मानता है, जो अखबार में छपा होता है। लोग मोबाइल पर फॉरवर्ड खबर की सत्यता जांचने के लिए अगली सुबह के अखबार का इंतजार करते हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
मोबाइल पर ढेरों फॉरवर्डेड मैसेज के चलते समस्या बढ़ रही है। -प्रतीकात्मक फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2NGDqvQ
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via