Sunday, April 12, 2020

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दुनिया में कोरोनावारयस कहां से आया? इस सवाल का जवाब पाना कठिन तो है, लेकिन कोरोना पीड़ितों कीउंगलियांचीन और वहां के 64 साल पुराने प्रतिष्ठित संस्थानइंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजीकी ओर उठी हुई है और अब इसमें अमेरिकी एंगल भी जुड़ने लगा है। दरअसल,11 अप्रैल को द मेल ऑन संडे ने एक बड़ी खबर का खुलासा करते हुए कहा कि अमेरिका ने वुहान स्थित उस लैब को प्रयोग करने के लिए फंडिंग की थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहीं से कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला।

लैब-जानवर और संक्रमण की कड़ियों को जोड़ती 9बातें

1.फंड अमेरिका का, काम चीन का
इस खबर को ब्रिटेन के ही डेली मेल ने 'REVEALED' शीर्षक के साथ सनसनीखेज खबर के रूप में प्रकाशित किया है और तमाम कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की है। डेली मेल के मुताबिक वुहान की इस चीनी लैब को अमेरिकी सरकार ने 3.7 मिलियन डॉलर (करीब 28 करोड़ रुपए) की आर्थिक मदद दी, ताकि वो जानवरों पर अपनी रिसर्च जारी रख सके। बताया गया है कि यह फंडिंग पिछले 10 साल से चल रही थी, यानी ओबामा से लेकर ट्रम्प के कार्यकाल तक यह जारी रही।

2. पहली बार शक चमगादड़ पर
दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते में पुख्ता जानकारियां सामने आईं थी कि इंसानों में कोरोना का वायरस चमगादड़ से आया। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा था कि ऐसे सबूत बता रहे हैं चमगादड़ इसका वाहक है। अब आरोप यह है कि वुहान की इसी लैब से कोरोनावायरस लीक हुआ और चीन से होता हुआ पूरी दुनिया में फैल गया। इसके बाद अमेरिका ने चीन ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, पर अब दोनों ही देश बाकी दुनिया के सामने कटघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

युन्नान प्रांत की ऐसी ही एक गुफा से चीनी वैज्ञानिकों ने उन चमगादड़ों को पकड़ा था, जिनसे कोरोना संक्रमण फैलने का दावा किया जा रहा है।

3. चीन की गुफा केचमगादड़
चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों नेवुहान से करीब 1600 किलोमीटर दूर यून्नान प्रांत की एक अंधेरी गुफा से इन चमगादड़ों को पकड़ा था। वैज्ञानिक इन पर सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी और उनके जीनोम को लेकर कई तरह के प्रयोग कर रहे थे। दरअसल, वायरोलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें प्रोटीन के खोल वाले सबमाइक्रोस्कोपिक, पैरासाइट और वायरसों कणों पर रिसर्च की जाती है।

4. वुहान की झींगे वाली पेशेंट जीरो
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यहां के वेट मार्केट (जहां पर जंगली जीवों का व्यापार होता है) से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है और इसी मार्केट में एक महिला के जरिए पहली बार ये कोरोना ने इंसानों में प्रवेश किया। 53 साल की ये महिला वहां झींगे बेचती थी और संक्रमित हो गई थी। हालांकि करीब एक महीने चले इलाज के बाद ये महिला जनवरी में स्वस्थ हो गई थी, लेकिन तब तक वायरस वुहान में फैल चुका था।

5. चमगादड़-पेंगोलिन थ्योरी
जब कोरोनावायरस पहली बार नवंबर में वुहान में सामने आया तो इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया कि इसका कैरियर कोई जानवर भी हो सकता है। बाद में खुद चीनी वैज्ञानिकों ने शंका जाहिर करते हुए कहा कि ये वायरस चमगादड़ से पेंगोलिन में पेंगोलिन से इंसान में फैला है। इसकी पुष्टि बाद में कोरोना वायरस के जीनोम पर रिसर्च से ही जो युन्नान प्रांत के गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ में मौजूद वायरस से मेल खाता है।

6. जीनोम सीक्वेंस के सबूत
चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ के मुताबिक, वायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा। इसे समझने के लिए 1 हजार जंगली जानवरों के सैंपल लिए। मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सीक्वेंस 99 फीसदी तक एक जैसा है।

7. चमगादड़ ही क्यों पसंद
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के अनुसार चमगादड़ और कोरोना के कनेक्शन पर वैज्ञानिकों का कहना है कि ये वायरस ऐसा होस्ट यानी वाहक पकड़ता है जो इसे तेजी से फैला सके। चूंकि चमगादड़ एकमात्र स्तनधारी उड़ने वाला जीव है औरबड़ी संख्या में एक साथ रहता है। ऐसे में इस वायरस के लिए यह सबसे उपयुक्त वाहक है। रेबीज, मर्स और निपाह वायरस के वाहक के रूप में चमगादड़ की भूमिका पहले से संदिग्ध रही है।

चीन के वुहान स्थित64 साल पुराने प्रतिष्ठित संस्थानइंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की इमारत।

8. अमेरिकी संस्थान की भूमिका
चीन की लैब को अमेरिका की जिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) से फंडिंग मिल रही थी,वह यहां की बॉयोमेडिकल और पब्लिक हेल्थ रिसर्च को करने वाला सरकारी स्वामित्व वाला संस्थान है। वुहान के लैब की वेबसाइट पर NIH का नाम पार्टनर कंपनी के तौर पर दर्ज है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये फंडिंग बीते 10 साल से जारी थी।

9. अब दोनों सरकार खुद कटघरे में
इस मामले के सामने आने के बाद अमेरिका की ट्रम्प सरकार वहां के ही सांसदों और स्वतंत्र प्रेशर ग्रुप्स के निशाने पर हैं। इस तरह के प्रयोगों में अमेरिकी फंड खर्च होने की कड़ी आलोचना की जा रही है। अमेरिकी सांसद मैट गेट्ज ने कहा है कि अफसोसजनक है कि हम इतने वर्षों से से वुहान की उस लैब को फंड कर रहे हैं, जहां जानवरों पर खतरनाक और क्रूरता से भरे प्रयोग हो रहे थे। हालांकि अब तक चीन और अमेरिका दोनों ही देशों की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। चीन पर इस पूरे मामले को दबाने के आरोप खुद अमेरिका ने लगाए थे, पर अब लग रहा है कि फंडिंग के कारण और कोरोना से अपने देश में हो रही तबाही से खुद भी सवालों के घेरेमें आ गया है।



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U.S. government gave $3.7million grant to Wuhan lab at center of coronavirus leak scrutiny that was performing experiments on bats from the caves where the disease is believed to have originated


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