
कोरोनावायरस महामारी के बीच दुनिया के37 देशों के 11 करोड़ 70 लाख बच्चों को खसरे काटीका नही लग पा रहा है। ये बच्चे दुनिया के ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां खसरे और रूबेला जैसी बीमारियों का प्रकोप अब भी है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को कहा कि 24 देशों में टीकाकरण का काम लगभग बंद है। 13 देशों में भी यह कार्यक्रम प्रभावित हुआ है।

खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से निपटने के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्था ‘मीजल्स एंड रूबेला इनीशिएटिव’ (एम एंड आरआई) ने संयुक्त बयान में कहा है कि कोरोनावायरस की महामारी के दौरान टीकाकरण के कार्यक्रम को जारी रखना जरूरी है। एम एंड आरआई के मुताबिक, जिन क्षेत्रों में कोरोना का खतरा अभीज्यादा है, वहां इसके काम को कुछ दिनों के लिए रोका जा सकता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाए।

5 साल तक के बच्चों में खसरा का खतरा ज्यादा
खसरा भी वायरस से होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। इसलिए इसके लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम को ज्यादा नहीं टाला जा सकता है। खसरे के टीके की शुरुआत 1963 में हुई। पहले यह महामारी लगभग हर 2-3 साल में होती थी। खसरा से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे 5 साल से कम उम्र के होते हैं। औसतन 2करोड़ 60 लाखबच्चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं।2018 में खसरा की वजह से दुनिया में 1 लाख 40 हजार बच्चों की मौत हुई थी।
210 देशाें में कोरोना का आतंक
दुनिया के 210 देशों में कोरोनावायरस का संक्रमण है। अब तक 19 लाख 88 हजार 770 लोग इसकी चपेट में हैं। एक लाख 26 हजार की मौत हो चुकी है। राहत की बात ये कि इसी दौरान चार लाख 66 हजार 948 संक्रमित स्वस्थ भी हुए हैं।
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