Monday, January 13, 2020

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नई दिल्ली.दिल्ली में भी नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जामिया विवि, जेएनयू और डीयू के छात्र संगठन तो विरोध जता ही रहे हैं, तमाम सिविल सोसायटी के लोगों का साथ भी उन्हें मिल रहा है। वहीं, कई संगठन समर्थन में भी रैली और मार्च निकाल रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर जामियानगर, शाहीनबाग, सीलमपुर, जाफराबाद, जामा मस्जिद और बल्लीमारन में प्रदर्शन के साथ पिछले दिनों हिंसा भी हुई। भास्कर ने इन्हीं जगह जाकर लोगों से बात की और जाना कि तीनों मुद्दे विधानसभा चुनाव को किस तरह प्रभावित करने वाले हैं।

सीलमपुर और जाफराबाद सेतरुण सिसोदिया

सीएए और एनआरसी पर आक्रोश, वोट डालने पर अब भी कन्फ्यूज

मुस्लिम वोटर्ससीलमपुर 50%


नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के प्रति पूर्वी जाफराबाद और सीलमपुर इलाके के वोटर्स में रोष है। वो चाहते हैं कि यह कानून न आए। धरना-प्रदर्शन के बाद अब वह इसे वोट की ताकत से हासिल करना चाहते हैं। गुस्से के बीच वोट किसे दिया जाए इस पर अभी यहां के लोगों में कन्फ्यूजन है। जाफराबाद के मरकजी चौक इलाके में कई सालों से चाय की दुकान चलाने वाले मोहम्मद इरफान कहते हैं ये दोनों मुस्लिम विरोधी हैं, इन्हें लागू नहीं होने चाहिए। यहां जो विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं हुईं उसकी वजह से व्यापार खराब हो गया है। पहले दोपहर 2 बजे तक इतनी भीड़ होती थी कि फुर्सत नहीं होती थी। अब दुकान का किराया चुकाने तक के पैसे निकालना मुश्किल हो रहा है। बाहर से काम करने को आने वाले 65-70% लोग डर से वापस गांव चले गए हैं। सीलमपुर एफ ब्लॉक निवासी सिराज गुस्से में बोले-हमें देश से बाहर भेजे की बात हो रही है। हमारे बाप-दादा के टाइम से हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं। कभी दिक्कत नहीं हुई। फिर सरकार क्यों यह कानून ला रही है। यदि हमारे साथ जबर्दस्ती की गई तो हम आत्महत्या कर लेंगे लेकिन देश छोड़कर नहीं जाएंगे। यहीं बुजुर्ग मोहम्मद जाकिर कहते हैं, नागरिकता कानून और एनआरसी दोनों मुस्लिम विरोधी कानून हैं।

जामा मस्जिद और बल्लीमारान से धर्मेंद्र डागर

सभी का एक ही सवाल- धर्म के आधार पर क्यों बांट रहीं पार्टियां
पूर्व विधायकों के कांग्रेस में जाने से कांग्रेस को हो सकता है नुकसान

मुस्लिम : वोटर्सचांदनी चौक20%,बल्लीमारान38%

बंटवारे के समय हमारे पूर्वज यह कहकर आए कि यहां गांधी जी के साथ रहेंगे, अब सरकार सबूत मांग रही है।’ जामा मस्जिद, बल्लीमारान व आजाद मार्केट में नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर लोग यही बात करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार बातें कोई चाहे जितनी करे, वोट काम के आधार पर ही डाला जाएगा। आजाद मार्केट में चाय की शाहिद खान कहते हैं कि कुछ पार्टियां धर्म की राजनीति कर रही हैं।


बल्लीमारान में शमशाद अहमद कहते हैं कि नागरिकता कानून की वजह से मुस्लिमों में रोष है। जामा मस्जिद की सीढ़ियों के पास खड़े लोगों से बात की तो लोगों ने कहा, बंटवारे के समय उनके पूर्वज भारत में महात्मा गांधी की वजह से रुके थे। अब 80 साल बाद ये नागरिकता कानून, एनसीआर और एनपीआर लगाकर सबूत मांग रहे हैं। अनीश अहमद कहते हैं क्या भारत हमारा नहीं है? इनकी जुबान पर यही बात थी कि केंद्र सरकार ने रोजगार बिगाड़ा है, लोग प्रदर्शन करने में जुटे हैं। पूर्व विधायक शोएब इकबाल और प्रहलाद सिंह साहनी के आप में जाने से भी यहां कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

शाहीनबाग और जामियानगर से आनंद पवार

धर्म-जाति नहीं बल्कि रोजगार और शिक्षा पर ही मिलेगा वोट

लोगों का धर्म-जाति से ज्यादा लेना-देना नहीं है वोट उसको जो काम दिलाए

मुस्लिम वोटर्स :ओखला 43%

पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की ओखला विधानसभा के मुस्लिम बाहुल इलाके में केन्द्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने के बाद से यहां नाराजगी है। जामिया यूनिवर्सिटी के सामने और कालिंदी कुंज रोड पर करीब एक महीने से लोग धरने पर बैठे हैं। यहां पर दीवार और सड़कों पर जोश भरे नारे लिखे जा रहे है। बच्चे तिरंगा लेकर घूम रहे है। जामिया नगर, शाहीन बाग, ओखला इलाकों में सीएए की ही चर्चा है। अभी वोट का ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है, यह तो तय नहीं है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद तस्वीर साफ हो सकती है। ओखला हेड में जूस की दुकान चलाने वाले मोहम्मद माहिद कहते हैं कि भाजपा रोजगार, शिक्षा पर काम करने के बजाए सीएए कानून लाकर लोगों को बांटने का काम कर रही है। यूनिवर्सिटी में छात्रों को मारने वालों को लोग क्यों वोट देंगे। वहीं, शाहीनबाग निवासी वकील अहमद ने कहा कि लोग अब जागरूक हैं। उनको धर्म और जाति से कोई लेना देना नहीं है। शाहीनबाग निवासी इरफान ने बताया कि लोग काम के साथ ही व्यक्ति को भी देखते है। ऐसे में उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद ही वोट के बारे में कुछ कहा जा सकता है। अभी कहना जल्दबाजी होगी।

वो विधानसभाएं, जहां मुस्लिम वोट तय करते हैं किस्मत: त्रिलोकपुरी, कोंडली, गांधी नगर, ओखला, बल्लीमारान, मटिया महल, सदर बाजार, चांदनी चौक, सीमापुरी, बाबरपुर, सीलमपुर, मुस्तफबाद, घोंडा, करावल नगर, किराड़ी, बवाना, विकासपुरी, संगम विहार और बदरपुर।



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दिल्ली की 19 विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स 15 फीसदी से ज्यादा हैं


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