Tuesday, January 21, 2020

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नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दाखिल 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच इस कानून के समर्थन और विरोध में दाखिल सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी और कानून की संवैधानिक वैधता को जांचेगी। इसके अलावा, बेंच केंद्र की उस याचिका की भी सुनवाई करेगी, जिसमें उसने इस मामले में हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने संबंधी दायर याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा।

सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से भारत में आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दी थी। इसके बाद यह कानून बन गया। इसके विरोध में पूर्वोत्तर समेत देशभर में प्रदर्शन हुई। इस दौरान हुई हिंसा में यूपी समेत कई राज्यों में लोगों की जान भी गई।

किस याचिका में, क्या कहा गया?

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग: आईयूएमएल ने याचिका में कहा- सीएए समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। यह अवैध प्रवासियों के एक धड़े को नागरिकता देने के लिए है और धर्म के आधार पर इसमें पक्षपात किया गया है। यह संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है। यह कानून साफतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव है, क्योंकि इसका फायदा केवल हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को मिलेगा। सीएए पर अंतरिम रोक लगाई जाए। इसके साथ ही फॉरेन अमेंडमेंट ऑर्डर 2015 और पासपोर्ट इंट्री अमेंडमेंट रूल्स 2015 के भी क्रियाशील होने पर रोक लगाई जाए।

कांग्रेस: जयराम रमेश ने याचिका में कहा- यह कानून संविधान की ओर से दिए गए मौलिक अधिकारों पर एक "निर्लज्ज हमला' है। यह समान लोगों के साथ असमान की तरह व्यवहार करता है। कानून को लेकर सवाल यह है कि क्या भारत में नागरिकता देने या इनकार करने का आधार धर्म हो सकता है? यह स्पष्ट तौर पर सिटिजनशिप एक्ट 1955 में असंवैधानिक संशोधन है। संदेहास्पद कानून दो तरह के वर्गीकरण करता है। पहला धर्म के आधार पर और दूसरा भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर। दोनों ही वर्गीकरणों का उस मकसद से कोई उचित संबंध नहीं है, जिसके लिए इस कानून को लाया गया है यानी भारत आए ऐसे समुदायों को छत, सुरक्षा और नागरिकता देना, जिन्हें पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर जुल्म का शिकार होना पड़ा।

राजद, तृणमूल, एआईएमआईएम: राजद नेता मनोज झा, तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए। जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन, पीस पार्टी, सीपीआई, एनजीओ रिहाई मंच और सिटिजंस अगेंस्ट हेट, वकील एमएल शर्मा और कुछ कानून के छात्रों ने भी सीएए के खिलाफ याचिकाएं दाखिल कीं।

केरलः मुख्यमंत्री पिनरई विजयन कानून को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। केरल सरकार ने कहा था- हम कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, क्योंकि यह देश की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला है। केरल के अलावा पंजाब विधानसभा ने भी सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया है। वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे गैर भाजपा शासित राज्य पहले ही इसे अपने यहां लागू नहीं करने की बात कह चुके हैं।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था- हमारा काम वैधता की जांच करना
सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी को कानून को संवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की थी। बेंच ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। जब हिंसा थमेगी, तब सुनवाई की जाएगी। पहली बार है, जब कोई देश के कानून को संवैधानिक करार देने की मांग कर रहा है, जबकि हमारा काम वैधता जांचना है।

शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी, दिल्ली के एलजी धरने पर बैठी महिलाओं से मिले
शाही बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन 38वें दिन भी जारी है। दिल्ली के एलजी अनिल बैजल मंगलवार को धरने पर बैठी महिलाओं और दूसरे प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करने पहुंचे और विरोध को खत्म करने की अपील की। उन्होंने का कि विरोध की वजह से स्कूली बच्चों, मरीजों और आम जनता को परेशानी हो रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन में शामिल बच्चों की पहचान और उनकी काउंसिलंग के निर्देश दिए हैं। दिल्ली प्रशासन को भेज पत्र में आयोग ने कहा कि अफवाहों और भ्रम के चलते बच्चे मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो सकते हैं। हमें ऐसी शिकायतें मिली हैं। ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों की पहचान कर उनको काउंसिलिंग मुहैया कराई जाए।

पूर्वोत्तर में यूनिवर्सिटी और कॉलेज बंद करने की अपील
सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के मद्देनजर पूर्वोत्तर के छात्र संगठनों ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में बंद का आह्वान किया है। ऑल इंडिया असम स्टूडेंट यूनियन असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, कृषक मुक्ति संग्राम समिति,वाम दलों, कांग्रेस ने इस कानून को निरस्त करने की मांग की है। पूर्वोत्तर की 9 यूनिवर्सिटियां इस शट डाउन में शामिल हैं।



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Hearing on 144 petitions filed for CAA today, Bench of 3 judges to check constitutionality of law


from Dainik Bhaskar /national/news/supreme-court-to-hear-today-over-144-petitions-challenging-or-supporting-caa-126575028.html
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