Monday, April 6, 2020

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कोरोना का असर भारत के अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’पर भी पड़ा है। रूस में लॉकडाउन की वजह से यूरी ए. गैगरीन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में भी कामकाज बंद हो गया है। इसकी वजह से यहां भारत के चार अंतरिक्ष यात्री की ट्रेनिंग भी रुक गई है। पिछले साल भारत और रूस के बीच गगनयान मिशन को लेकर एक समझौता हुआ था। इसके तहत इनकी ट्रैनिंग इस साल 10 फरवरी में शुरू हुई थी।

इसरो ने गगनयान मिशन के लिए वायुसेना के चार पायलट का चयन किया था। इनमें एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर शामिल हैं। पिछले साल 2 जुलाई में इसरो नेइन पायलट को प्रशिक्षित करने के लिएरूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकॉस्मोस के एक समझौता किया था।

भारत और रूस के बीच 27 जून को करार हुआ था
वायुसेना के पायलटों को ट्रेनिंग के लिए रूस के यूरी ए. गागरिन स्टेट साइंटिफिक रिसर्च एंड टेस्टिंग कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया है। इसरो के ह्यूमन स्पेसलाइट सेंटर और रूस के स्टेट स्पेस कॉर्पोरेशन रोस्कॉस्मोस की कंपनी ग्लावकॉस्मोस के बीच इसके लिए 27 जून 2019 को समझौता हुआ था। इस ट्रेनिंग सेंटर का नाम 12 अप्रैल 1961 को अंतरिक्ष जाने वाले पहले इंसान यूरी गागरिन के नाम पर रखा गया है। सोवियत वायुसेना के पायलट गागरिन ने वोस्टोक-1 कैप्सूल में बैठकर पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाया था। ग्लावकोस्मॉस ने कहा, “भारत के पायलटों को असमान जलवायु और भौगोलिक परिस्थिति में लैंडिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।”

भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खास ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया
आमतौर पर किसी भी स्पेस मिशन में जाने लायक बनने में रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को 5 साल की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। लेकिन, भारत ने 2022 की शुरुआत में मानव मिशन भेजने का फैसला किया है। इसी वजह से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए 12 महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम डिजाइन किया गया है। गागरिन ट्रेनिंग सेंटर के हेड वलासोव के मुताबिक यह ट्रेनिंग प्रोग्राम खासतौर पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें एडवांस इंजीनियरिंग कोर्स के साथ ही सामान्य स्पेस ट्रेनिंग और फिजिकिल कंडीशनिंग शामिल हैं। ट्रेनिंग का सबसे रोमांचक हिस्सा सर्वाइवल कोर्स( बचने के गुर) है। इसमें किसी अनहोनी की सूरत में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बचाव के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसमें यह बताया जा रहा कि अगर धरती पर लौटने के दौरान उनका यान कहीं जंगल में लैंड हुआ तो क्या करना है। फिलहाल, भारतीय अंतरिक्ष यात्री मॉस्को से लगे जंगली और दलदली इलाके में ट्रेनिंग कर रहे थे।

गगयान के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष व्यंजन तैयार किए गए
डीआरडीओ की मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैब (डीएफआरएल) ने मिशन में जाने वाले यात्रियों के लिए 22 किस्म के व्यंजन तैयार किए हैं। मेन्यू में दाल फ्राई, वेज पुलाव, आलू पराठा, पालक पनीर, आलू मटर, उपमा, इडली, पोंगल, दलिया, वेज कट्‌ठी रोल, एग रोल, चिकन रोल, चिकन कोरमा भी शामिल होगा। यही नहीं, मूंगफली-गुड़ की चिक्की, सूजी और मूंग दाल का हलवा, आम पापड़, बिस्किट के अलावा ड्राई फ्रूट्स में काजू, बादाम, अखरोट भी उपलब्ध होगा। चाय, कॉफी और फ्रूट जूस के पाउडर दिए जाएंगे। इसरो के साथ हुए करार के मुताबिक, डीएफआरएल गगनयान के लिए 60 किग्रा खाना और 100 लीटर पानी मुहैया कराएगा।

गनयान पर 10 हजार करोड़ का खर्च आने की उम्मीद

  • गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में लालकिले से स्वतंत्रता दिवस पर की थी। मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आने की उम्मीद है। इसे संभवत: दिसम्बर 2022 में लॉन्च करने की योजना। यूनियन कैबिनेट ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है।
  • भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा 1984 में रूसी यान में बैठकर अंतरिक्ष गए थे। गगनयान मिशन के जरिए भारतीय एस्ट्रोनॉट्स भारतीय यान में बैठकर स्पेस में जाएंगे। गगनयान को जीएसएलवी मैक-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो ने 23 जनवरी को गगनयान में भेजी जाने वाली ह्यूमनॉइड 'व्योममित्रा' का वीडियो जारी किया था।


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Indian astronauts training due to lockdown in Russia started in February this year


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